(11) ग्यारहवीं वसियत:पत्नी के साथ सम्भोग (सेक्स करना) से पहले अच्छी नियत करना
(11) ग्यारहवीं वसियत:पत्नी के साथ सम्भोग (सेक्स करना) से पहले अच्छी नियत करना
मैंने ज़ुल्म को अपने ऊपर ह़राम क़रार दिया है।
मैंने ज़ुल्म को अपने ऊपर ह़राम क़रार दिया है।
मुर्दों को गाली मत दो।
ह़ज़रत आ़एशा रद़ियल्लाहु अ़न्हा कहती हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने फ़रमाया: "मुर्दों को गाली मत दो क्योंकि वह अपने किए को पहुंच गए हैं।"
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रथम बरकतें
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रथम बरकतें
मुसलमान हज़रत मुहम्मद-उन पर इश्वर की कृपा और
हज़रत मुहम्मद-उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- की शिक्षाओं और उनके गुणों कोध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि उनके इन शिक्षाओं और गुणों को बहुत सारे लोगों ने माना है, इस पर इतिहास गवाह है.
अगर नमाज़ की तकबीर हो जाए तो उसकी तरफ दोड़ कर मत आओ।
अगर नमाज़ की तकबीर हो जाए तो उसकी तरफ दोड़ कर मत आओ।
सत्य एक है (भाग 2 का 2)
विभिन्न समयों और स्थानों के विभिन्न धार्मिक सिद्धांतों को देखने के बाद तार्किक तर्क का दूसरा भाग यह साबित करता है कि सत्य निरपेक्ष है, सापेक्ष नहीं।
आध्यात्मिकता की इस्लामी अवधारणा
इस्लाम में आध्यात्मिक मार्ग क्या है और समग्र रूप से जीवन में इसका क्या स्थान है?
अल्लाह की पनाह (शरण) मांगा करो आज़माइश (आफत) की दुश्वारी से
ह़ज़रत अबू हुरैरा कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "अल्लाह की पनाह (शरण) मांगा करो आज़माइश (आफत) की दुश्वारी, बदबखती की पस्ती, बुरे अंत और दुश्मन के (अपने ऊपर) हंसने से।"
मुसलमान दूसरों को इस्लाम में क्यों बुलाते हैं?
मुसलमान जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को हर उस व्यक्ति के साथ साझा करना चाहते हैं जिससे वो मिलते हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि दूसरे भी उनके जैसा प्रसन्नचित महसूस करें।