(8) आठवीं वसियत: पति पर पत्नी के अधिकार की वसियत
(8) आठवीं वसियत: पति पर पत्नी के अधिकार की वसियत
अगर नमाज़ की तकबीर हो जाए तो उसकी तरफ दोड़ कर मत आओ।
अगर नमाज़ की तकबीर हो जाए तो उसकी तरफ दोड़ कर मत आओ।
अपने भाई की मदद करो वह ज़ालिम या मज़लूम।
अपने भाई की मदद करो वह ज़ालिम या मज़लूम।
अल्लाह की पनाह (शरण) मांगा करो आज़माइश (आफत) की दुश्वारी से
ह़ज़रत अबू हुरैरा कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "अल्लाह की पनाह (शरण) मांगा करो आज़माइश (आफत) की दुश्वारी, बदबखती की पस्ती, बुरे अंत और दुश्मन के (अपने ऊपर) हंसने से।"
अल्लाह के पैगंबर हज़रत मुहम्मद के विषय में स
हो सकताहैकेआपएकप्रोटेस्टेंट या कैथोलिकइसाईहोंया यहूदीहों, या नास्तिक हों,या फिर आप तत्वमीमांसा को न मानने वालों में से हों,याफिर आपका संबंध आजकेसंसारकेधर्मिक मतोंमें सेकिसी से भी हो, याआपएकसाम्यवादीहों, यायह मानतेहोंकि मानव लोकतंत्र इस धरती परआधार बल्कि सब कुछ है.
अल्लाह से डरो। और अपनी औलाद के दरमियान इंसाफ करो।
अल्लाह से डरो। और अपनी औलाद के दरमियान इंसाफ करो।
अल्लाह से दुआ़ मांगो और इस यक़ीन के साथ मांगो कि तुम्हारी दुआ़ जरूर कबूल होगी।
ह़ज़रत अबू हुरैरा रद़ियल्लाहु अ़न्हु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: "अल्लाह से दुआ़ मांगो और इस यक़ीन के साथ मांगो कि तुम्हारी दुआ़ जरूर कबूल होगी। और (अच्छी तरह) जान लो कि अल्लाह बेपरवाही से मांगी हुई गफलत में पड़े दिल की दुआ़ कुबूल नहीं करता है।"
आध्यात्मिकता की इस्लामी अवधारणा
इस्लाम में आध्यात्मिक मार्ग क्या है और समग्र रूप से जीवन में इसका क्या स्थान है?
इस लिए ज्ञान प्राप्त न करो कि इसकी वजह से तुम उ़लमा (विद्वानों) पर गर्व करो।
इस लिए ज्ञान प्राप्त न करो कि इसकी वजह से तुम उ़लमा (विद्वानों) पर गर्व करो।