• Majed S. Al-Rassi
    Majed S. Al-Rassi
    अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व में संदेह का शैक्षिक एवं गंभीर विश्लेषण

    यह एक संक्षिप्त पुस्तक है जिसमें अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व में संदेह का विश्लेषण किया गया है,अल्लाह के अस्तित्व में संदेह का यह सिद्धांत अनेक समाजों में आम होता जा रहा है, यह पुस्तक प्राकृतिक, तर्कसंगत, धामिर्क एवं संवेदी तर्कों के आलोक में विभिन्न रूप से अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व को प्रमाणित करती है।

    अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व में संदेह का शैक्षिक एवं गंभीर विश्लेषण
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    अल्लाह कौन है?

    महिमावान “अल्लाह” के नाम का शब्द अरबी मूल का है। इस्लाम से पहले अरबों ने इस नाम का प्रयोग किया है। अल्लाह सर्वशक्तिमान सर्वोच्च पूज्य है जिसका कोई साझी नहीं। जिस पर, इस्लाम से पूर्व अज्ञानता की अवधि में अरब लोग ईमान रखते थे, लेकिन उनमें से कुछ लोगों ने उसके साथ अन्य देवताओं की भी पूजा की जबकि कुछ दूसरे लोगों ने उसकी उपासना में मूर्तियों को भी साझी ठहराया।

    अल्लाह कौन है?
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    अल्लाह का अस्तित्व और उसकी विशेषताएँ

    (विश्वासियों और नास्तिकों समेत) सभी लोगों के बीच इस बात पर सहमत होना संभव है कि अल्लाह के अस्तित्व और उसकी विशेषताओं की सच्चाई तक पहुंचने के लिए एक मात्र रास्ता शुद्ध वैज्ञानिक तर्क होना चाहिए। क्योंकि इस बात से हर कोई सहमत है कि हर काम का कोई न कोई करनेवाला होता है और हर चीज़ के लिए कोई न कोई कारण होता है। इस से कोई चीज़ बाहर नहीं है। चुनाँचे कोई भी चीज़ निस्सारता से या अनस्तित्व से नहीं आती है। और न ही कोई चीज़ बिना कारण के या कारण पैदा करनेवाले के होती है। इसके उदाहरण अनगिनत हैं, जिनसे कोई अनदेखी नहीं कर सकता। 

    अल्लाह का अस्तित्व और उसकी विशेषताएँ
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    निर्माता का अस्तित्व (वजूद)

    पूरा ब्रह्माण्ड अपने सभी जीवित या निर्जीव, स्थिर और गतिशील चीज़ों  के साथ अनस्तित्व के बाद अस्तित्व में आया है। अतः तर्क और विज्ञान दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि कोई ऐसा अस्तित्व है जिसने ब्रह्मांड को बनाया है। चाहे उसका नाम अल्लाह हो या सृष्टा हो या सृजनहार हो या प्रारंभकर्ता (पहली बार पैदा करने वाला) हो। उसका इस वास्तविकता पर कोई प्रभाव नहीं है। क्योंकि पूरा ब्रह्मांड अपने अंदर विद्यमान चीजों के साथ सृष्टा के अस्तित्व पर पर्याप्त प्रमाण है।

    निर्माता का अस्तित्व (वजूद)
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    अल्लाह ब्रह्मांड (विश्व) का निर्माता है।

    इस सृष्टा के गुणों की पहचान उसके किए हुए कार्यों और बनाई हुई चीज़ों (रचनाओं) के अध्ययन और अनुवर्ती के माध्यम से होती है। उदाहरण के लिए, एक पुस्तक को ही ले लीजिए जो उसके लेखक के ज्ञान, उसके अनुभव, उसकी संस्कृति, उसकी शैली, उसकी सोच और उसके कार्य करने (उपलब्धि) और विश्लेषण करने की क्षमता का पता देती है। इसी तरह सारी बनाई हुई चीज़ें, निर्माता की विशेषताओं के बारे में एक व्यापक विचार और तस्वीर देती हैं। यदि लोग ब्रह्मांड और उसके अंदर उपस्थित प्राणियों और रचनाओं के साथ इसी वैज्ञानिक तर्क का उपयोग करें तो वे सृष्टा (निर्माता) की विशेषताओं की जानकारी तक पहुँच सकते हैं। समुद्र और प्रकृति की सुंदरता, कोशिकाओं की सटीकता और उनके विवरण की तत्वदर्शिता, ब्रह्मांड का संतुलन और उसकी आंदोलन प्रणाली, और वे सभी विज्ञान जहाँ तक मानव पहुँचा है, यह सब के सब सृष्टा की महानता, ज्ञान और बुद्धि का संकेत देते हैं।

    अल्लाह ब्रह्मांड (विश्व) का निर्माता है।
  • Abu Zaid Zameer
    Abu Zaid Zameer
    धर्म के लिए आमंत्रण

    आमंत्रणः अल्लाह सर्वशक्तिमान ने अपने ईश्दूत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सर्व मानवजाति के लिए अपना अंतिम संदेष्टा बनाकर भेजा। यह एक ऐसे समय पर घटित हुआ जब अरब के लोग लड़कियों को जीवित गाड़ दिया करते थे, आपस में मामूली बात पर कट-मरते थे, मूर्तियों की पूजा करते थे, महिलाओं पर अत्याचार और उनका अपमान करते थे। ऐसी गंभीर परिस्थिति में, अल्लाह ने आपको मानवजाति के लिए दया व करुणा बनाकर अवतिरत किया। आप ने लोगों कों सत्य-धर्म, सफलता और सौभाग्य का मार्ग दर्शाया, उन्हें मूर्तियों की पूजा से निकालकर एकमात्र सर्वशक्तिमान अल्लाह की उपासना पर लगाया, और समाज के सभी सदस्यों के लिए उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया। अतः मानवता के लिए सौभाग्य और शांति केवल इस्लाम की शिक्षाओं में है। इस्लाम के लिए आमंत्रित करना यथाशक्ति हर मुसलमान की ज़िम्मेदारी है। हर मुसलमान को अपने इस्लाम-ज्ञान के अनुसार अल्लाह के धर्म की ओर आमंत्रण देना चाहिए, तथा उसे इसके लिए शिष्टाचार से भी सुसज्जित होना चाहिए।

    धर्म के लिए आमंत्रण
  • Fayd Allah Al-Madani
    Fayd Allah Al-Madani
    दुनिया की वास्तविकता

    अल्लाह सर्वशक्तिमान ने हमें सूचना दी है कि दुनिया का यह जीवन नश्वर है, स्थायी नहीं है और इसके बाद परलोक का जीवन ही स्थायी और सदा रहनेवाला घर है। इसी तरह यह जीवन कार्य और परीक्षण का घर है, जिसमें मनुष्य कार्य करता है, खेती करता है ताकि इसके बाद के जीवन में उसका प्रतिफल प्राप्त करे। इसीलिए अल्लाह ने मनुष्य को चेतावनी दी है कि उसे दुनिया और उसके श्रंगार से धोखा नहीं खाना चाहिए। क्योंकि यह दुनिया परलोक के सामने कुछ भी महत्व नहीं रखती है। तथा अल्लाह सर्वशक्तिमान दुनिया उसे भी देता है जिससे प्यार करता है और जिससे प्यार नहीं करता। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह आखिरत की अनदेखी कर दुनिया में लिप्त न हो जाए। बल्कि उसका मूल उद्देश्य परलोक का जीवन और उसकी अनश्वर समृद्धि होनी चाहिए। प्रस्सतुत व्याख्यान में इसी का वर्णन किया गया है।

    दुनिया की वास्तविकता
  • Ata' Alrhman Diaa Allah
    Ata' Alrhman Diaa Allah
    मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का ईश्दूतत्व और मानव को उसकी आवश्यकता

    इस ऑडियो में इस बात का उल्लेख किया गया है किस तरह मानव समाज में ईश्दूतों के अवतरण की शुरूआत हुई और विकास करते हुए एक महान संदेष्टा के ईश्दूतत्व पर संपन्न हो गयी - और वह समस्त ईश्दूतों व संदेष्टाओं के नायक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं। तथा ईश्दूतत्व के संक्षेप इतिहास का वर्णन करते हुए हमारे अंतिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व, उनके अवतरण के समय धार्मिक व सामाजिक स्थितियों, उनके गुणों, पवित चरित्र, जीवन की घटनाओं, कठिन परिस्थियों, उनकी जाति के लोगों का आपके साथ दुर्व्यवहार और आपका उनके साथ सदव्यवहार का उल्लेख किया गया है। इसी तरह पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व की सच्चाई, उसके प्रमाणों का चर्चा करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि आप पर ईश्दूतत्व का समापन हो जाता है। अतएव, आप अब परलोक तक सर्वमानवजाति के लिए अल्लाह के ईश्दूत व संदेष्टा हैं और सबके लिए आपका अनुपालन करना अनिवार्य है।

    मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का ईश्दूतत्व और मानव को उसकी आवश्यकता
  • Islam House
    Islam House
    ईमान बिल्लाह और तौहीद की हक़ीक़त

    इस ऑडयिों में उन बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें ईमान लाने का आदेश दिया है, और उनमें सर्व प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण अल्लाह पर ईमान लाना अर्थात ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ का इक़रार करना है। जिस पर इस्लाम की आधारशिला है, और जिसके द्वारा एक मुसलमान के बीच और एक काफिर, मुश्रिक और नास्तिक के बीच अंतर होता है। लेकिन केवल इस कलिमा का उच्चारण मात्र ही काफी नहीं है, बल्कि उसके अर्थ और भाव पर पूरा उतरना ज़रूरी है। इसी तरह ‘इलाह’ (पूज्य) का अर्थ और ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ की वास्तविकता का उल्लेख करते हुए, मानव जीवन में इस कलिमा के प्रभावों का उल्लेख किया गया है। अंत में उन अवशेष बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर ईमान लाने का पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें आदेश दिया है, और वे : अल्लाह के फरिश्तों, उसकी पुस्तकों, उसके पैगंबरों, परलोक के दिन, और अच्छी व बुरी तक़्दीर (भाग्य) पर ईमान लाना, हैं।

    ईमान बिल्लाह और तौहीद की हक़ीक़त
  • Fayd Allah Al-Madani
    Fayd Allah Al-Madani
    पूजा के कृत्यों में शिर्क

    अल्लाह सर्वशक्तिमान के साथ शिर्क (बहुदेववाद) इस धरती पर अल्लाह की सबसे बड़ी अवज्ञा है। वास्तव में यह सबसे बड़ा अन्याय, सबसे बड़ा अत्याचार, सबसे बड़ा पाप, सबसे बड़ा भद्दा और सबसे बड़ा अपराध है। क्योंकि इसका संबंध सर्वसंसार के पालनहार सर्वशक्तिमान अल्लाह के साथ है। अनेकेश्वरवादियों का अधिकांश शिर्क अल्लाह की उपासना व पूजा कृत्यों में घटित हुआ है। जैसे- अल्लाह को छोड़कर दूसरों को पुकारना, विनती करना, या पूजा के कृत्यों में से किसी प्रकार को ग़ैरुल्लाह के लिए करना, जैसे कि अल्लाह के अलावा के लिए जानवर का बलिदान, मन्नत मानना, भय, आशा, प्रेम, तवक्कुल (भरोसा), इत्यादि। प्रस्तुत आडियो में इसी पर चर्चा किया गया है।

    पूजा के कृत्यों में शिर्क
  • Ata’a Alrahman Deya’a Allah
    Ata’a Alrahman Deya’a Allah
    अल्लाह पर ईमान और एकेश्वरवाद की वास्तविकता

    इस ऑडयिों में उन बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें ईमान लाने का आदेश दिया है, और उनमें सर्व प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण अल्लाह पर ईमान लाना अर्थात ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ का इक़रार करना है। जिस पर इस्लाम की आधारशिला है, और जिसके द्वारा एक मुसलमान के बीच और एक काफिर, मुश्रिक और नास्तिक के बीच अंतर होता है। लेकिन केवल इस कलिमा का उच्चारण मात्र ही काफी नहीं है, बल्कि उसके अर्थ और भाव पर पूरा उतरना ज़रूरी है। इसी तरह ‘इलाह’ (पूज्य) का अर्थ और ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ की वास्तविकता का उल्लेख करते हुए, मानव जीवन में इस कलिमा के प्रभावों का उल्लेख किया गया है। अंत में उन अवशेष बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर ईमान लाने का पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें आदेश दिया है, और वे : अल्लाह के फरिश्तों, उसकी पुस्तकों, उसके पैगंबरों, परलोक के दिन, और अच्छी व बुरी तक़्दीर (भाग्य) पर ईमान लाना, हैं।

    अल्लाह पर ईमान और एकेश्वरवाद की वास्तविकता
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    जो चीज़ तूझे शक में डाले उसे छोड़कर ऐसी चीज़ ले जो तुझे शक में न डाले

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    जो चीज़ तूझे शक में डाले उसे छोड़कर ऐसी चीज़ ले जो तुझे शक में न डाले
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    मेरे हिन्दू दोस्त को एक संदेश

    हर हिन्दू के लिए दिल से एक संदेश, जिसकी आंखों पर पर्दा पड़ा है, और सच्चाई तक नहीं पहुंचना चाहता है। एक संदेश जो आपके लिए एक साफ-सुथरी प्रकृति (स्वभाव या फि़त्रत) लिए हुए है, और जिसमें आपके उन सवालों के जवाब हैं जो आप आपने आप से अपने बचपन से पूछते आये हैं लेकिन आपको उनका संतुष्ट जवाब नहीं मिला पाया... एक ऐसा संदेश जो आपको सहीह और तर्कसंगतता (यानी बुद्धिमत्ता) का रास्ता बताएगा और आपको उस सच्चे ईश्वर से मिला देगा जिसे आप बचपन से खोज रहे हैं। यह मेरे हिन्दू दोस्त के लिए एक संदेश है। दिल से सुनो..और दिमाग से फैसला करो।

    मेरे हिन्दू दोस्त को एक संदेश
  • Zakir Naik
    Zakir Naik
    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा - 2

    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा - 2

    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा - 2
  • Zakir Naik
    Zakir Naik
    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा - 3

    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणाः इस धरती पर मानवजाति अनेक पूजा पत्रों की उपासना और आराधना करती है, बल्कि वस्तुस्थिति यह है कि एक ही धर्म के मानने वालों में कई पूज्यो की धारणा पाई जाती है, किन्तु वास्तविकता यह है कि धर्म के मूल ग्रंथों के अध्य्यन से यह स्पष्ट होता है कि हर धर्म में केवल एक ही पूज्य की धारणा मिलती है। इस वीडियो में वेश्विक धर्मों जैसे किः हिन्दुमत, सिखमत, ईसाई-धर्म, यहूदी-धर्म, पारसी धर्म... के मूल ग्रंथों के हवालों से यह प्रमाणित और सिद्ध किया गया है कि सभी धर्मों में केवल एक पूज्य की उपासना का आदेश दिया गया है।

    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा - 3
  • Zakir Naik
    Zakir Naik
    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा

    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा

    वेश्विक धर्मों में पूज्य की धारणा
  • Waheed Uddin Khan
    Waheed Uddin Khan
    सच्चा रास्ता

    इसमें कोई संदेह नहीं कि यह दुनिया नश्वर है, और परलोक का जीवन ही सदैव बाक़ी रहने वाला और मनुष्य का स्थायी घर है। यह सांसारिक जीवन मात्र एक परीक्षा और परलोक की तैयारी और उसकी खेती है। तथा लोक और परलोक की सफलता और सौभाग्य प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता वह सीधा मार्ग है जिसे हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं। अतः जो व्यक्ति इस पर चलेगा वह सफल होगा और जो उससे उपेक्षा करेगा वह घाटे में रहेगा। इस पुस्तिका में उसी रास्ते का निर्देशन किया गया है।

    सच्चा रास्ता
  • Ata’a Alrahman Deya’a Allah
    Ata’a Alrahman Deya’a Allah
    ख़ालिस इन्सानी अधिकार

    इस्लाम इन्सान की हैसियत से इन्सान के कुछ हक़ और अधिकार मुक़र्रर करता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह है कि हर इन्सान चाहे, वह हमारे अपने देश और वतन का हो या किसी दूसरे देश और वतन का, हमारी क़ौम का हो या किसी दूसरी क़ौम का, मुसलमान हो या ग़ैर-मुस्लिम, किसी जंगल का रहने वाला हो या किसी रेगिस्तान में पाया जाता हो, बहरहाल सिर्फ़ इन्सान होने की हैसियत से उसके कुछ हक़ और अधिकार हैं जिनको एक मुसलमान लाज़िमी तौर पर अदा करेगा और उसका फ़र्ज़ है कि वह उन्हें अदा करे।

    ख़ालिस इन्सानी अधिकार
  • Naji Ibrahim Al-Arfaj
    Naji Ibrahim Al-Arfaj
    मात्र एक संदेश!

    इस पुस्तिका में अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) के उस संयुक्त संदेश का उल्लेख किया गया है जिस के साथ आदम –अलैहिस्सलाम- से लेकर मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- तक सभी ईश्दूत और सन्देष्टा भेजे गये। तथा आज यहूदियों और ईसाईयों के हाथों में मौजूद बाइबल (ओल्ड टैस्टामेंट एंव नया टैस्टामेंट) के हवालों से अल्लाह के एकेश्वरवाद को प्रमाण-सिद्ध किया गया है।

    मात्र एक संदेश!
  • Zakir Naik
    Zakir Naik
    ग़लतफ़हमियों का निवारण (इस्लाम के बारे में ग़ैर मुस्लिमों के सामान्य प्रश्नों के उत्तर)

    इस पुस्तक में इस्लाम से संबंधित ग़ैर-मुस्लिमों के द्वारा पूछे जाने वाले 20 सामान्य प्रश्नों के प्रमाणों और तर्क के साथ उत्तर दिये गये हैं। यदि एक मुसलमान इन प्रश्नों के उत्तर अच्छी तरह समझ ले और इन्हें अपने दिमाग में बिठा ले, तो वह ग़ैर-मुस्लिमों के मस्तिष्कि में इस्लाम के संबंध में पाई जाने वाली ग़लतफ़हमियों को दूर करने और इस्लाम के प्रति उनके नकारात्मक सोच को बदलने में सफल रहेगा।

    ग़लतफ़हमियों का निवारण (इस्लाम के बारे में ग़ैर मुस्लिमों के सामान्य प्रश्नों के उत्तर)