एक दूसरे से मुसाफा करो (यानी हाथ मिलाओ) नफरत दूर होगी।
एक दूसरे से मुसाफा करो (यानी हाथ मिलाओ) नफरत दूर होगी।
Muhammad Bakr Ismail
171
जिसे पसंद हो कि उसकी रोजी़ में ज़्यादती हो और उसकी उम्र बढ़ा दी जाए तो वह रिश्तेदारी निभाए।
जिसे पसंद हो कि उसकी रोजी़ में ज़्यादती हो और उसकी उम्र बढ़ा दी जाए तो वह रिश्तेदारी निभाए।
Muhammad Bakr Ismail
85
तुममें से कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को गुलामों की तरह कोड़ों से न मारे
तुममें से कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को गुलामों की तरह कोड़ों से न मारे
Muhammad Bakr Ismail
87
कोई मोमिन पुरुष किसी मोमिना महिला से नफरत ना करे।
कोई मोमिन पुरुष किसी मोमिना महिला से नफरत ना करे।
Muhammad Bakr Ismail
83
तुम्हारे पास जब कोई ऐसा व्यक्ति (विवाह का संदेश लेकर) आए जिसकी धार्मिकता और अखलाक से तुम संतुष्ट हो तो उससे विवाह कर दो।
तुम्हारे पास जब कोई ऐसा व्यक्ति (विवाह का संदेश लेकर) आए जिसकी धार्मिकता और अखलाक से तुम संतुष्ट हो तो उससे विवाह कर दो।
Muhammad Bakr Ismail
82
बल्कि काम करो और भरोसा करके बैठ मत जाओ।
बल्कि काम करो और भरोसा करके बैठ मत जाओ।
Muhammad Bakr Ismail
130
अल्लाह से डरो। और अपनी औलाद के दरमियान इंसाफ करो।
अल्लाह से डरो। और अपनी औलाद के दरमियान इंसाफ करो।
Muhammad Bakr Ismail
84
जब शर्म ही न हो तो जो फिर जो चाहो करो।
जब शर्म ही न हो तो जो फिर जो चाहो करो।
Muhammad Bakr Ismail
84
इस लिए ज्ञान प्राप्त न करो कि इसकी वजह से तुम उ़लमा (विद्वानों) पर गर्व करो।
इस लिए ज्ञान प्राप्त न करो कि इसकी वजह से तुम उ़लमा (विद्वानों) पर गर्व करो।
Muhammad Bakr Ismail
80