इसमें कोई संदेह नहीं कि यह दुनिया नश्वर है, और परलोक का जीवन ही सदैव बाक़ी रहने वाला और मनुष्य का स्थायी घर है। यह सांसारिक जीवन मात्र एक परीक्षा और परलोक की तैयारी और उसकी खेती है। तथा लोक और परलोक की सफलता और सौभाग्य प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता वह सीधा मार्ग है जिसे हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं। अतः जो व्यक्ति इस पर चलेगा वह सफल होगा और जो उससे उपेक्षा करेगा वह घाटे में रहेगा। इस पुस्तिका में उसी रास्ते का निर्देशन किया गया है।
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धर्म दो चीजों पर आधारित है
यह एक संक्षिप्त शैक्षिक निबंध है, जिसमें लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि धर्म केवल दो सिद्धांतों पर आधारित है, फिर उन लोगों का उल्लेख किया है जो इन सिद्धांतों को समझने और इन्हें व्यवहार में लाने में (पूर्वजों) का विरोध करते हैं,ये विरोधी दस प्रकार के हैं, यह लेख धर्म के मूलभूत आधार को समझने का सही तरीका स्पष्ट करता है, जो केवल एक है, तथा धर्म के मौलिक आधार को समझने के गलत और निराधार तरीकों से भी परदा उठता है,जिन की संख्या दस है,इस प्रकार यह एक अत्यंत शैक्षिक और उपयोगी निबंध है, जिसके माध्यम से एक मुसलमान हिदायत के मार्ग से अवगत हो सकता है ताकि वह उसका अनुगमन करे, और गुमराही (त्रुटि)के मार्ग से भी परिचित हो सके ताकि वह उससे दूर रहे, और वह धर्म पर अडिग रहा, उसका पांव डगमगाए नहीं।
इस्लाम धर्म की खूबियाँ
इस्लाम ही वह एकमात्र सच्चा धर्म है, जिसे अल्लाह तआला ने सर्व मानव जाति के लिए पसंद कर लिया है। अतः वह किसी भी व्यक्ति से इस्लाम के सिवा कोई दूसरा धर्म कदापि स्वीकार नहीं करेगा। इस्लाम मानव के सौभाग्य और सफलता का धर्म है, तथा वही वह धर्म है जिसने मनुष्य के व्यक्तिगत, या पारिवारिक, या सामुदायिक या सर्व मानव जाति से संबंधित मामलों में ऐसे सूक्ष्म आचार और उचित ढंग, तौर-तरीक़े सिखाये हैं जिन से उसका जीवन सुलभ हो सकता है, उसकी खुशी संपन्न हो सकती है और उसको सच्चा सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। इस पुस्तक में इस्लाम के उन्हीं कुछ गुणों और विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।
इस्लाम के सिद्धांत
इस पुस्तक में इस्लाम का अर्थ और उसकी वास्तविकता, अल्लाह के आदेश और उसकी शरीअत की जानकारी के साधन, ईश्दूतों और उनकी सत्यता के प्रमाणों का ज्ञान, इस्लाम और ईमान के स्तंभों का वर्णन, इस्लामी शरीअत के स्रोत और बंदों पर अनिवार्य कर्तव्यों का वर्णन किया गया है, तथा इस बात का उल्लेख किया गया है कि शरीअत को लागू करना अल्लाह की उपासना है और उसने मानव की पाँच आवश्यक ज़रूरतों की रक्षा की है।
इस्लाम धर्म के मूल सिद्धांत
इस्लाम एक परिपूर्ण व्यापक धर्म है जो जीवन के सभी छेत्रों को सम्मिलित है। इस्लाम के अनुयायी का अपने उत्पत्तिकर्ता के साथ किस तरह का संबंध होना चाहिए तथा जिस समाज में वह जीवन यापन कर रहा है उसके विभिन्न सदस्यों के साथ उसका संबंध कैसा होना चाहिए, दोनों पक्षों को इस्लाम ने स्पष्ट किया है। इस पुस्तिका में यह उल्लेख किया गया है कि सर्व जगत के पालनहार के प्रति निष्ट होने के छेत्र क्या हैं, उसकी आराधना और उपासना किस प्रकार तथा उसके नियम क्या हैं। जिन्हें ईमान और इस्लाम के अर्कान यानी मूल आधार और सिद्धांत के नाम से जाना जाता है।