इस्लाम इन्सान की हैसियत से इन्सान के कुछ हक़ और अधिकार मुक़र्रर करता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह है कि हर इन्सान चाहे, वह हमारे अपने देश और वतन का हो या किसी दूसरे देश और वतन का, हमारी क़ौम का हो या किसी दूसरी क़ौम का, मुसलमान हो या ग़ैर-मुस्लिम, किसी जंगल का रहने वाला हो या किसी रेगिस्तान में पाया जाता हो, बहरहाल सिर्फ़ इन्सान होने की हैसियत से उसके कुछ हक़ और अधिकार हैं जिनको एक मुसलमान लाज़िमी तौर पर अदा करेगा और उसका फ़र्ज़ है कि वह उन्हें अदा करे।
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सच्चा रास्ता
इसमें कोई संदेह नहीं कि यह दुनिया नश्वर है, और परलोक का जीवन ही सदैव बाक़ी रहने वाला और मनुष्य का स्थायी घर है। यह सांसारिक जीवन मात्र एक परीक्षा और परलोक की तैयारी और उसकी खेती है। तथा लोक और परलोक की सफलता और सौभाग्य प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता वह सीधा मार्ग है जिसे हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं। अतः जो व्यक्ति इस पर चलेगा वह सफल होगा और जो उससे उपेक्षा करेगा वह घाटे में रहेगा। इस पुस्तिका में उसी रास्ते का निर्देशन किया गया है।
इस्लाम एक दृष्टि में
इस्लाम क्या है? उसकी वास्तविकता और उसका उद्देश्य क्या है? उसके मूल तत्व और उसकी मौलिक शिक्षाएँ क्या हैं? मानव को वह कौन सा दृष्टिकोण देता, किस चरित्र और आचरण पर उभारता और किस प्रकार का जीवन गुज़ारने का निर्देश देता है? यह पुस्तक इन्हीं बिन्दुओं को सामने रख कर लिखी गई है और यह प्रयास किया गया है कि जो लोग मुसलमान होने के उपरांत भी शुद्ध रूप् से इस्लाम की वास्तविकता को नहीं जानते, वे इस पुस्तक के अध्ययन से मौलिक और आवश्यक सीमा तक, इस्लाम की वास्तविक रूप-रेखा को जान लें। विशष्टि रूप से इस्लाम में उपासन के व्यापक और विस्तृत अर्थ का खुलासा किया गया है, जो कि केवल वैयक्तिक जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि वास्तव में जीवन के सभी अंशों और पक्षों को सम्मिलित है, चाहे वह आध्यात्मिक हो, या नैतिक, पारिवारिक हो या सामाजिक, राजनैतिक हो या आर्थिक।
इस्लाम धर्म के मूल सिद्धांत
इस्लाम एक परिपूर्ण व्यापक धर्म है जो जीवन के सभी छेत्रों को सम्मिलित है। इस्लाम के अनुयायी का अपने उत्पत्तिकर्ता के साथ किस तरह का संबंध होना चाहिए तथा जिस समाज में वह जीवन यापन कर रहा है उसके विभिन्न सदस्यों के साथ उसका संबंध कैसा होना चाहिए, दोनों पक्षों को इस्लाम ने स्पष्ट किया है। इस पुस्तिका में यह उल्लेख किया गया है कि सर्व जगत के पालनहार के प्रति निष्ट होने के छेत्र क्या हैं, उसकी आराधना और उपासना किस प्रकार तथा उसके नियम क्या हैं। जिन्हें ईमान और इस्लाम के अर्कान यानी मूल आधार और सिद्धांत के नाम से जाना जाता है।
इस्लाम का रास्ता
यह पुस्तक इस्लाम धर्म का परिचय प्रस्तुत करती है जिस पर अल्लाह ने धर्मों का अंत कर दिया है और उसे अपने समस्त बंदों के लिए पसंद कर लिया है तथा इस धर्म में प्रवेश करने का आदेश दिया है। अतः यह मानवजाति की उत्पत्ति की कहानी, संदेष्टाओं व ईश्दूतों के अवतरण, अंतिम संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व, आपकी संछिप्त जीवनी, आचरण व व्यवहा, तथा आपके ईश्दूतत्व की सत्यता पर अंग्रेज़ दार्शनिक थामस कार-लायल की गवाही के वर्णन पर आधारित है। इसी तरह इसमें इस्लाम की विशेषताओं एवं गुणों, इस्लाम के स्तंभों, ईमान अथवा इस्लामी आस्था के मूलसिद्धांतों, इस्लाम में उपासना के आशय तथा नारी सम्मान और उसके स्थान का उल्लेख किया गया है। इसके अध्ययन से आपके लिए इस धर्म की महानता, उसकी शिक्षाओं की सत्यता व सत्यापन और प्रति युग, स्थान, जाति और राष्ट्र के लिए उसकी योग्यता स्पष्ट होजायेगी।