इस्लाम क्या है? उसकी वास्तविकता और उसका उद्देश्य क्या है? उसके मूल तत्व और उसकी मौलिक शिक्षाएँ क्या हैं? मानव को वह कौन सा दृष्टिकोण देता, किस चरित्र और आचरण पर उभारता और किस प्रकार का जीवन गुज़ारने का निर्देश देता है? यह पुस्तक इन्हीं बिन्दुओं को सामने रख कर लिखी गई है और यह प्रयास किया गया है कि जो लोग मुसलमान होने के उपरांत भी शुद्ध रूप् से इस्लाम की वास्तविकता को नहीं जानते, वे इस पुस्तक के अध्ययन से मौलिक और आवश्यक सीमा तक, इस्लाम की वास्तविक रूप-रेखा को जान लें। विशष्टि रूप से इस्लाम में उपासन के व्यापक और विस्तृत अर्थ का खुलासा किया गया है, जो कि केवल वैयक्तिक जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि वास्तव में जीवन के सभी अंशों और पक्षों को सम्मिलित है, चाहे वह आध्यात्मिक हो, या नैतिक, पारिवारिक हो या सामाजिक, राजनैतिक हो या आर्थिक।
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नव मुस्लिम मार्गदर्शिका
नवमुस्लिम मार्गदर्शिका : यह हिंदी में अनूदित एक बहुमूल्य पुस्तक है, जिसमें इसलाम धर्म ग्रहण करने वाले नवमुस्लिमों को चित्रों एवं आकृतियों के माध्यम से ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिनके ज़रिए वे इसलाम को आसानी से समझ सकें। दरअसल, यह उन सीमित कार्यों में से एक है, जो विशेष रूप से नवमुस्लिमों को सामने रखकर किए गए हैं, जिन्हें इसलाम की मूल शिक्षाओं के बारे में सही जानकारी की अधिक आवश्यकता होती है। इस पुस्तिका में बहुत ही आसान एवं सरल अंदाज़ में फ़िक़्ह के सभी मसायल, अक़ीदा संबंधी संदेहों और शरई पारिभाषिक शब्दों को ध्यान में रखते हुए सप्रमाण शिक्षा प्रदान करने की पद्धति अपनाई गई है।

इस्लाम के सिद्धांत
इस पुस्तक में इस्लाम का अर्थ और उसकी वास्तविकता, अल्लाह के आदेश और उसकी शरीअत की जानकारी के साधन, ईश्दूतों और उनकी सत्यता के प्रमाणों का ज्ञान, इस्लाम और ईमान के स्तंभों का वर्णन, इस्लामी शरीअत के स्रोत और बंदों पर अनिवार्य कर्तव्यों का वर्णन किया गया है, तथा इस बात का उल्लेख किया गया है कि शरीअत को लागू करना अल्लाह की उपासना है और उसने मानव की पाँच आवश्यक ज़रूरतों की रक्षा की है।

सच्चा रास्ता
इसमें कोई संदेह नहीं कि यह दुनिया नश्वर है, और परलोक का जीवन ही सदैव बाक़ी रहने वाला और मनुष्य का स्थायी घर है। यह सांसारिक जीवन मात्र एक परीक्षा और परलोक की तैयारी और उसकी खेती है। तथा लोक और परलोक की सफलता और सौभाग्य प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता वह सीधा मार्ग है जिसे हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं। अतः जो व्यक्ति इस पर चलेगा वह सफल होगा और जो उससे उपेक्षा करेगा वह घाटे में रहेगा। इस पुस्तिका में उसी रास्ते का निर्देशन किया गया है।

ख़ालिस इन्सानी अधिकार
इस्लाम इन्सान की हैसियत से इन्सान के कुछ हक़ और अधिकार मुक़र्रर करता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह है कि हर इन्सान चाहे, वह हमारे अपने देश और वतन का हो या किसी दूसरे देश और वतन का, हमारी क़ौम का हो या किसी दूसरी क़ौम का, मुसलमान हो या ग़ैर-मुस्लिम, किसी जंगल का रहने वाला हो या किसी रेगिस्तान में पाया जाता हो, बहरहाल सिर्फ़ इन्सान होने की हैसियत से उसके कुछ हक़ और अधिकार हैं जिनको एक मुसलमान लाज़िमी तौर पर अदा करेगा और उसका फ़र्ज़ है कि वह उन्हें अदा करे।
