नेकियों पर स्थिरताः अल्लाह तआला ने बन्दों को मात्र अपनी उपासना के लिया पैदा किया है और उन्हें अपनी आज्ञाकारिता का आदेश दिया है, और मृत्यु से पहले इसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं किया है, बल्कि उन्हें मृत्यु के आने तक नेक कार्यों पर जमे रहने का आदेश दिया है। हमारे सन्देष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम तथा पुनीत पूर्वजों का यही तरीक़ा था कि वे इस पहलू पर काफी ध्यान देते थे। प्रस्तुत व्याख्यान में निरंतर नेक कार्य करने और पूजा कृत्यों पर जमे रहने पर बल दिया गया है, यहाँ तक कि आदमी की मृत्यु आ जाए, और इस दुनिया में उसका अन्त अच्छे कार्यों पर हो ताकि परलोक के दिन इसी हालत में उसे उठाया जाए।
इसी तरह उन नाम-निहाद औलिया का खण्डन किया गया है जो झूठमूठ यह दावा करते हैं कि वे इस स्तर पर पहुँच गए हाँ जहाँ उनके लिए शरीअत की प्रतिबद्धता समाप्त हो जाती है!!!